बम्पर उत्पादन के लिए खरपतवार नियंत्रण सबसे महत्वपूर्ण; गलत समय पर छिड़काव से फसल को हो सकता है नुकसान।
खरपतवार नियंत्रण का महत्व और छिड़काव का सही समय
गेहूँ की फसल में बंपर उत्पादन लेने के लिए खरपतवारों का नियंत्रण सबसे महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। किसान महंगे उर्वरक (खाद) और सिंचाई पर पैसा खर्च करते हैं, लेकिन यदि खरपतवार इन पोषक तत्वों को खा जाते हैं, तो गेहूँ की फसल दब जाती है और उत्पादन में भारी नुकसान होता है। इसके साथ ही, खरपतवार नाशक का गलत समय पर या गलत तरीके से इस्तेमाल करने से फसल को झटका भी लग सकता है, जिससे कल्ले (टिलर्स) निकलने का काम रुक जाता है। इसीलिए, चौड़ी पत्ती और सकरी पत्ती वाले सभी तरह के खरपतवारों को सही समय पर और सटीक दवा से नियंत्रित करना आवश्यक है। खरपतवार नाशक का प्रयोग तब करें जब गेहूँ की फसल ३० से ४० दिन की हो जाए और खरपतवारों में भी दो से पाँच पत्तियाँ ही होनी चाहिए।
छिड़काव का सही तरीका और खेत में नमी की आवश्यकता
खरपतवार नाशक का प्रयोग करते समय यह सुनिश्चित करना सबसे ज़रूरी है कि खेत में पर्याप्त नमी हो। छिड़काव हमेशा सिंचाई (पानी) देने के बाद ही करें। सूखे खेत में छिड़काव करने से पत्तियाँ झुलस सकती हैं और खरपतवार जड़ से खत्म नहीं होते। पहले स्प्रे करके फिर पानी देना एक गलत तरीका है। यदि खरपतवार ज़्यादा बड़े हो गए हैं (जैसे छह पत्तियों से अधिक), तो छिड़काव करने से बचें, क्योंकि बड़ी खरपतवार पर दवा का परिणाम कम मिलता है और फसल को नुकसान ज़्यादा होता है। खरपतवार नाशक का छिड़काव हमेशा फ्लैट फैन नोजल से करें, जो दवा की एक समान परत बनाता है।
चौड़ी और सकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए विशेष दवाएँ
गेहूँ की फसल में पाए जाने वाले विभिन्न खरपतवारों के लिए अलग-अलग विशिष्ट दवाओं का उपयोग करना चाहिए। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार, जैसे बथुआ और जंगली पालक, खेतों में सबसे आम होते हैं और इनकी जड़ें बहुत गहरी होती हैं, जो गेहूँ से पहले पोषक तत्वों को खींच लेती हैं। इनके नियंत्रण के लिए मेटसल्फुरॉन-मिथाइल २०% डब्ल्यूपी (जैसे एफएमसी की ‘एलग्रिप’) का इस्तेमाल ८ ग्राम प्रति एकड़ की खुराक में करना चाहिए।
वहीं, सकरी पत्ती वाले खरपतवार, जिनमें गुल्ली डंडा (मंडूसी) और जंगली जई (Wild Oats) शामिल हैं, तेज़ी से बढ़ते हैं और फसल को दबा देते हैं। पंजाब, हरियाणा जैसे क्षेत्रों में मंडूसी की समस्या बहुत गंभीर है। इनके लिए क्लॉडीनाफॉप-प्रोपारजाइल १५% डब्ल्यूपी (जैसे सिंजेंटा की ‘टॉपिक’) का इस्तेमाल १६० ग्राम प्रति एकड़ की खुराक में २०० लीटर पानी में मिलाकर करना चाहिए।
मिश्रित खरपतवारों के लिए सुरक्षित एवं तेज़ मिश्रण
जिन खेतों में चौड़ी और सकरी पत्ती वाले दोनों तरह के खरपतवार मौजूद हैं, वहाँ मिश्रण (Combination) वाले हर्बीसाइड का इस्तेमाल करना सबसे उपयुक्त होता है। एक सुरक्षित मिश्रण है क्लॉडीनाफॉप-प्रोपारजाइल १५% + मेटसल्फुरॉन-मिथाइल १% का मिश्रण (जैसे यूपीएल का वेस्टा)। इसकी खुराक १६० ग्राम प्रति एकड़ है और यह प्रभावी है, साथ ही फसल को झटका कम देता है। इसके अलावा, सल्फोसल्फुरॉन + मेटसल्फुरॉन का मिश्रण (जैसे यूपीएल का टोटल) भी उपलब्ध है, जिसकी खुराक १६ ग्राम प्रति एकड़ है। इसका असर बहुत तेज़ होता है, लेकिन यह छोटे खरपतवार होने पर फसल को ज़्यादा झटका दे सकता है। सही समय पर सही दवा और सही तरीके का इस्तेमाल करके गेहूँ की फसल को खरपतवार मुक्त रखा जा सकता है।